डॉ हजारीप्रसाद दुवेदी का जीवन परिचय एवं साहित्य परिचय?

दोस्तों आपका स्वागत मेरे वेबसाइट में आज इस आर्टिकल में डॉ हजारीप्रसाद दुवेदी का पाठ, में आपको पढ़ाऊंगा।

इस एक आर्टिकल में यह पाठ अगर आप 12वीं कक्षा में हो तो आपके हिंदी बुक में जरूर दिया होगा, और अगर आप दसवीं कक्षा में हो तो भी आपके किताब में यह पाठ जरूर दिया होगा। इसीलिए इस पाठ को पूरा जरूर पढ़ें!

इस पाठ में हम सबसे पहले पड़ेंगे डॉ हजारीप्रसाद दुवेदी का जीवन परिचय, उसके बाद साहित्य परिचय फिर संपादन, कृतियां, प्रमुख रचनाएं, और भाषा शैली तथा साहित्य में स्थान और कुछ बहुविकल्पीय प्रशन भी हम पढ़ेंगे। तो चलिए पढ़ना शुरू करते हैं!

दोस्तों 12वीं कक्षा में साहित्य परिचय और जीवन परिचय मिलाकर और इसके साथ में कुछ प्रमुख रचनाएं भी पूछी जाती हैं! जो कि यह 5 नंबर की होती हैं! अगर आप हमारे इस आर्टिकल को पढ़ लेते हो तो आपके 5 नंबर पक्के हो जाएंगे। 

सबसे पहले हम आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जीवन परिचय पड़ेंगे।

डॉ हजारीप्रसाद दुवेदी का जीवन परिचय एवं साहित्य परिचय

डॉ हजारीप्रसाद दुवेदी का जीवन परिचय

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म सन 1907 ईस्वी के बलिया जिले के दुबे का छपरा नाम का एक गांव है इसमें हुआ था! इनके पिता का नाम अनमोल द्विवेदी था! और इनके माता का नाम ज्योतिकाली देवी था!

प्रसाद जी ने हिंदी और संस्कृत भाषा का अध्ययन किया और उन्होंने हिंदी और संस्कृत भाषा का भी ज्ञान प्राप्त क्या प्रसाद जी शांति निकेतनव्! काशी हिंदू विश्वविद्यालय! एवं पंजाब विश्वविद्यालय जैसी संस्थाओं के प्रसाद हिंदी विभाग के अध्यक्ष रहे थे! 

प्रसाद जी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से आचार्य जी की उपाधि को प्राप्त क्या था, इसीलिए इनको आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी कहा जाता है! और सन 1979 ईस्वी में इस महान लेखक का निधन हो गया!

जीवन परिचय शार्ट में  

  • नाम – डॉक्टर हजारीप्रसाद द्वेदी  
  • पिता का नाम – अनमोल द्वुवेदी
  • जन्म – 1907 
  • जन्म स्थान – दुबे का छपरा
  • जिला – बलिया उत्तर प्रदेश 
  • शिक्षा – कशी हिन्दू बिश्बबिधालय से आचार्य की उपाधि 
  • लेखन बिधा – आलोचना
  • निबंध – उपन्यास 
  • भाषा – शैली –
  • भाषा – शुद्ध साहित्यक खड़ीबोली 
  • शैली – बिचाररत्मक आलंकारिक गवेषणात्मक
  • प्रमुख रचनाए – हिंदी साहित्य की भूमिका, सुर साहित्य, कुटज, अशोक के फूल, बाणभट्ट की आत्मकथा, आलोक पर्व आदि,
  • निधन – 1979
  • साहित्य में स्थान – एक महान साहित्यकार एवं हिंदी के समालोचक के रूप में

अब हम डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी का साहित्य परिचय पड़ेंगे।

डॉ हजारीप्रसाद दुवेदी का साहित्य परिचय

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का आधुनिक युग के गद्यकारों में बहुत अधिक महत्वपूर्ण स्थान है! आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी रचनाकार थे! और रचनाकार के साथ में द्विवेदी जी निबंधकार भी थे!

प्रसाद जी ने ललित निबंध के क्षेत्र में महत्वपूर्ण लेखन कार्य किया है! द्विवेदी जी को सन 1949 को लखनऊ विश्वविद्यालय ने डी लिट की उपाधि दी थी!

और 1957 ईस्वी में भारत सरकार ने पद्म भूषण की उपाधि से सम्मानित किया! और प्रसाद जी हिंदी विभाग के अध्यक्ष भी रहे! द्विवेदी जी ने अनेक उपन्यासों की रचना की है! क्योंकि द्विवेदी जी उपन्यासकार और रचनाकार और निबंधकार भी थे!

कीर्तिया 

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अनेक ग्रंथों की रचना की थी जिनको निम्नलिखित भागो में बांटा है जिनके नाम कुछ इस प्रकार है

निबंध संग्रह 

  • अशोक के फूल,
  • कुटज,
  • विचार – प्रवाह,
  • विचार,
  • और वितर्क,
  • आलोक पर्व,
  • कल्पलता!

आलोचना साहित्य 

  • सूर साहित्य,
  • कालिदास की लालित्य योजना,
  • कबीर, साहित्य – सहचर,
  • साहित्य का मर्म,

इतिहास

  • हिंदी साहित्य की भूमिका,
  • हिंदी साहित्य का आदिकाल,
  • हिंदी – साहित्य!

उपन्यास 

बाणभट्ट की आत्मकथा ! चारु चंद्र लेख ! पुननर्वा ! अनामदास का पोथा !

संपादन 

नाथ सिद्धों का बानिया ! पृथ्वीराज रासो ! संदेश रासक !

अनूदित रचनाएं 

प्रबंध चिंतामणि ! पुरातन प्रबंध संग्रह ! प्रबंध कोश ! बिश्ब परिचय ! लाल कनेर ! मेरा बचपन ! आदि यह सब द्विवेदी जी की कृतियां है !

भाषा शैली 

भाषा 

द्विवेदी जी अपनी बातों को सहज स्वाभाविक रूप से कहते थे! उन्होंने ऐसी भाषा का उपयोग किया है जो कृतिम अथवा प्रयास में हो इनकी भाषा में बोलचाल की भाषा को ही प्रधानता रही है!

इन्होंने सभी प्रचलित भाषाओं के शब्दों का प्रयोग करके हिंदी को समृद्ध बनाया था! किंतु ऐसी शब्दवाले को इन्होंने हिंदी के प्रकृति के अनुकूल बनाकर प्रयुक्त किया था!

दुवेदी जी ने संस्कृत तथा तत्सम रूप में ही स्वीकार किया! भाषा को जैसे भंडार ! भग्नावशेष ! प्रारंभ ! किया ! आदि भाषा को लोकप्रिय सरस एवं मनोरंजक बनाने तथा अपने मत के समर्थन के लिए संस्कृत हिंदी बांग्ला आदि.

संयुक्तयो का भी पर्याप्त प्रयोग किया है! मुहावरों और लोकोक्तियों को इन्होंने स्थानीय बोलचाल की भाषा से ग्रहण किया था !

शैली 

हजारी प्रसाद द्विवेदी ने विभिन्न विषयों पर आधारित निबंधों की रचना की थी! उनके यह निबंध अनेक शैलियों में लिखे गए हैं! द्विवेदी जी की शैली कथा विशेषताएं मुख्य रूप से कई प्रकार की हैं !

  • 1 गवेषणात्मक शैली
  • 2 व्यक्तिकता शैली
  • 3 विचारात्मक ता शैली
  • 4 बर्णनात्म्कता 
  • 5 आलंकारिकता 
  • 6 व्यंग्यात्मकता  
  • यह सारी शैली है !

साहित्य में स्थान 

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की कृतियां हिंदी साहित्य की स्वास्थ्य नीधी हैं ! इनके निबंध एवं आलोचनाओं में उच्च कोटि की विचारात्मक क्षमता मिलती है!

हिंदी साहित्य के जगत में प्रसाद जी को विद्यमान समालोचक निबंधकार एवं आत्मकथा लेखक के रूप में में जाना जाता है! इनके कल्पनाप्रस्तुत निबंध हिंदी में बेजोड़ है ! और साहित्य सेवा आदित्य है हिंदी समालोचक में इनका स्थान महत्वपूर्ण रहा है !

संदर्भ यह पाठ्यपुस्तक गद्यांश से लिया गया है ! इस पाठ के लेखक डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं ! और पाठ्य का नाम अशोक के फूल है !

बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर

1 कुटज के रचनाकार हैं ?

डॉक्टर हजारी प्रसाद द्विवेदी

2 डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचना है ?

बाणभट्ट की आत्मकथा 

3 डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी का उपन्यास है ?

पुननर्वा  

4 कबीर आलोचना ग्रंथ के रचयिता हैं ?

डॉ हजारीप्रसाद द्विवेदी 

5 डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी की अनुदित रचना है ?

विचार विवेचन 

6 अशोक के फूल के रचनाकार हैं 

डॉ हजारीप्रसाद द्विवेदी

7 आलोक पर्व किस लेखक की कृति है ?

डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी

8 निम्नलिखित में से किस उपन्यास की रचना डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी के द्वारा की गई है 

पुननर्वा की

9 लाल कनेर व् मेरा बचपन नामक अनुदित रचनाओं को के लेखक हैं ?

डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी

10 किस आलोचनात्मक कृति की रचना डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी के द्वारा नहीं की गई है

साहित्य सहचर की कबीर की

11 बाणभट्ट की आत्मकथा के लेखक हैं ?

हजारी प्रसाद द्विवेदी

निष्कर्ष

दोस्तों यह चैप्टर आपका पूरा कंप्लीट होता है ! इस पाठ से आपसे 5 नंबर का प्रश्न पूछा जा सकता है! इसमें आप से बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाएंगे और संदर्भ पूछा जाएगा।

और 5 नंबर का साहित्य परिचय और जीवन परिचय बहुविकल्पीय दो या तीन नंबर के पूछे जाएंगे।

और संदर्भ दो नंबर के टोटल मिलाकर यहां से आपसे सात से आठ नंबर कंप्लीट हो जाएंगे। दोस्तों में उम्मीद करता हूं आपको यह पाठ पसंद आया होगा। ऐसे ही और आसान भाषा में पाठ पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट को फॉलो करें!

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