आज में आपको डॉ बासुदेवशरण अग्रवाल का 12th और 10th का पाठ् पूरा पढ़ाने बाला हु! इसमें मैं आपको डॉ बासुदेवशरण अग्रवाल का जीवन – परिचय और साहित्य – परिचय सब पढ़ाने बाला हु! तो चलिए पढ़ना शुरू करते है!

डॉ बासुदेवशरण अग्रवाल का जीवन परिचय
डॉ बासुदेवशरण अग्रवाल का जन्म १९०४ (1904) में मेरठ जनपद में खेड़ा ग्राम में हुआ था! अग्रवाल जी के माता – पिता लखनऊ शहर में रहा करते थे! इसलिए इनका भी बचपन लखनऊ में ब्यतीत हुआ है!
यही इन्होने शुरू की पढाई की थी! फिर बाद में इन्होने कशी हिन्दू बिश्बबिधालय से एम् ऐ की शिक्षा को पूरा किया! लखनऊ बिश्बबिधालय ने इनको पाणीनिकालीन शोद परबंद पर इनको पी एच् डी की उपाधि से सम्मानित किया है!
यही इन्होने डी लीट की उपादि प्राप्त की! इन्होने पोली, संस्कृत, अंग्रेजी, आदि भाषा का ज्ञान प्राप्त किया! और इन क्षेत्र में उच्च कोटि के बिद्वान माने जाने लगे!
अग्रवाल जी काशी हिन्दू बिश्बबिधालय के भारती महाबिधालय में अध्यक्ष रहे! और इस महान लेखक का १९६७ ( 1967 ) में निधन हो गया!
डॉ बासुदेवशरण अग्रवाल का शार्ट में जीवन परिचय
- नाम – डॉ बासुदेवशरण अग्रवाल
- जन्म – 1904
- जन्म – स्थान (मेरठ ) खेड़ा ग्राम
- शिक्षा – एम् ऐ
- भाषा – शैली
- भाषा – बिसयानुकूल! प्रोढ़! और परिमार्जित! खड़ीबोली!
- शैली – बिचारात्मक! गबेसढ़ात्म्क ब्याख्यात्मक आदि
- प्रमुख – रचनाए – पृथ्बीपुत्र, भारत की एकता ! माता भूमि !
- निधन – 1967
वासुदेव शरण अग्रवाल का साहित्यिक परिचय
डॉ बासुदेवशरण अग्रवाल लखनऊ और मथुरा के पुरात्तब संग्राहलय में निरीक्षक और केंद्रीय पुरात्तब बिभाग के संचालाक और राष्ट्रीय संग्रहालय में दिल्ली के अध्यक्ष रहे! डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल ने मुख्य रूप से पुरातत्व को ही अपना विषय बनाया है,
इन्होंने प्रागैतिहासिक वैदिक तथा पौराणिक साहित्य के मर्म का उद्घाटन किया। और अपनी रचनाओं में संस्कृत और प्राचीन भारतीय इतिहास का प्रामाणिक रूप प्रस्तुत किया। जायसी के पज्ञाबत की संजीवनी और बाणभट्ट के हर्षचरित का संस्कृत,
अध्ययन करके इन्होंने हिंदी साहित्य को गौरवान्वित किया। अग्रवाल जी अनुसंधाता, निबंधकार, और संपादक के क्षेत्र में प्रसिद्ध रहे हैं! यही बासुदेव शरण अग्रवाल जी का सहित्य परिचय है!
वासुदेव शरण अग्रवाल की कृतियां
डॉ वासुदेवशरण अग्रवाल निबंध, रचना, तथा शोध और संपादन जैसी कीर्तियों के क्षेत्र में बहुत कार्य किया है! इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं! निबंध संग्रह! पृथ्वीपुत्र! भारत की एकता! माता भूमि! कल्पवृक्ष! कला और संस्कृति! आदि!
वासुदेव शरण अग्रवाल का शोधा
पाणिनिकालीन भारत
वासुदेव शरण अग्रवाल का संपादन
जायसी के पज्ञाबत की संजीवनी व्याख्या, और बाणभट्ट के हर्षचरित संस्कृत अध्ययन! इसके अलावा पॉलि, संस्कृत, प्राकृत, और अनेक ग्रंथों का संपादन किया है!
वासुदेव शरण अग्रवाल की भाषा शैली
वासुदेवशरण अग्रवाल की भाषा शुद्ध सरल एवं खड़ी बोली है!
वासुदेव शरण अग्रवाल का हिंदी साहित्य में स्थान
डॉ वासुदेवशरण अग्रवाल हिंदी साहित्य के और निबंधकार के रूप में प्रसिद्ध रहे दोस्तों आप वासुदेवशरण अग्रवाल का साहित्य परिचय और जीवन परिचय पढ चुके हो!
अब मैं आपको इनके पाठ का नाम बताता हूं! और इनके पाठ का संदर्भ कैसे लिखा जाता है! वह आपको लिखना सिखाता हूं तो चलिए आगे बढ़ते हैं!
वासुदेवशरण अग्रवाल के पाठ का नाम
राष्ट्र का स्वरूप
वासुदेव शरण अग्रवाल के पाठ का सन्दर्भ
पाठ्य पुस्तक गद्यांश से लिया गया है इस पाठ का नाम राष्ट्र का स्वरूप है और लेखक का नाम वासुदेव शरण अग्रवाल है!
इसी तरह से किसी भी पाठ्य का सन्दर्भ लिखा जाता है आप इसी तरह से पेपर में भी लिख सकते है!
निष्कर्ष
दोस्तों में उम्मीद करता हूं! आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। और इसी प्रकार से और पढ़ाई करने के लिए आप हमें कांटेक्ट कर सकते हो! और इसी प्रकार की और जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारे इस वेबसाइट को फॉलो जरूर करें! ताकि आगे आने वाले आपके रिलेटेड जानकारी आप तक सबसे पहले पहुंच जाएं।